दर्द उठता है मज़ा देता है !
ये भी नेमत है खुदा देता है !!
ज्यों ही लिखता हूँ तेरा नाम मुक़द्दर में !
कोई आके लकीरों को मिटा देता है !!
कभी तेरी यादें चैन से रहने नहीं देतीं !
कभी तेरा ख्याल चुपके से सुला देता है !!
मुझसे ज़्यादा मुझे जानता है वो !
हर कदम पर मुझे मेरा पता देता है !!
इस्लाह पसंद नहीं शायद उसको !
इसीलिए हर बात पे तूफान उठा देता है !!
ग़मे उल्फत, दर्द, बेक़रारी, बेचेनी !
देने वाला देता है तो क्या -क्या देता है !!
दोनों ही करते हैं काम अपना बराबर !
मैं बुझाता हूँ शरारे वो हवा देता है !
मैं मसीहा कहूँ उसको या कुछ और "घायल"
दर्द यूँ देता है कि लगता है दवा देता है !!
(२)
साथ रहता है पर दिखाई नहीं देता !
तेरा अहसास दिल को रिहाई नहीं देता !!
सुनने वाले ही सुन सुन पाते हैं सदाए दिल !
राजे उल्फत सभी को सुनाई नहीं देता !!
तड़पता रहे रोता रहे किसी भी हाल में हो !
ये वुस आते दिल ही है जो दुहाई नहीं देता !!